हाल के दिनों में देशभर में हिंदू समुदाय पर लक्षित, साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएँ चिंताजनक रूप से बढ़ रही हैं: नेहा (दिल्ली), आयुष‑आहान (बदायूं), चंदन गुप्ता (कासगंज), बाप‑बेटे (मुर्शिदाबाद), कुनाल (मंदिर के सामने) आदि। साथ ही इतिहास के दर्दनाक पन्ने—नोआखाली नरसंहार (1946) और तमाम साम्प्रदायिक दंगों की गूंज आज तक सुनाई देती है।
उद्देश्य:
यह लेख, ब्लॉकपोस्ट की तरह—सिर्फ़ घटनाओं का सिलसिला नहीं, बल्कि गौतम बुद्ध की संजीवनी की तरह—हिंदुओं को जागरूक, एकजुट और सुरक्षित रहने के व्यावहारिक सुझाव देता है।
1. दिल्ली: नेहा हत्या (ज्योति नगर)
आरोपी तौफीक, जिसे नेहा राखी बाँधकर “भाई” मानती थीं, ने बुर्का पहनकर घर में प्रवेश किया और पांचवीं मंजिल से नेहा को धक्का देकर हत्या कर दी। परिवार ने पुलिस में धारा 1091 (हत्या प्रयास), 3512 (आपराधिक धमकी) के तहत FIR दर्ज कराई।
2. बदायूं: साजिद द्वारा बच्चों की हत्या
19 मार्च 2024 की रात, सलून संचालक साजिद ने विनोदी परिवार के तीन बच्चों पर छुरी हमला किया; दो की मौत, तीसरा बालक (पीयूष) बच गया। तंत्र‑मंत्र तक बात पहुंची, पर पुलिस ने चार घंटे में आरोपी को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
3. कासगंज: चंदन गुप्ता की हत्या
26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुई गोलीबारी में चंदन की मौत। जनवरी 2025 में विशेष NIA अदालत ने 28 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा दी।
4. मुर्शिदाबाद: पिता‑पुत्र की सामूहिक हत्या
12 अप्रैल 2025 को उत्तर बंगाल में साम्प्रदायिक हिंसा में एक पिता‑पुत्र को भीड़ ने पीटा और मार डाला। पुलिस ने 10 मई 2025 को हज़रत अली को गिरफ्तार किया।
5. जयपुर/सीलमपुर: कुनाल हत्या
मंदिर के बाहर शिव‑पार्वती के सामने कुनाल को सुबह चेतावनी दी गई, शाम को दो लोगों ने चाकू मारकर हत्या कर दी; दो अन्य ‘लुक‑आउट’ थे।
नोआखाली नरसंहार (1946)
अक्टूबर 1946 में बंगाल में मुसलमानों ने हिंदू आबादी पर निर्दयता से हमला किया: महिलाओं के साथ बलात्कार, घर जलाए, मंदिर ढहाए। उस नरसंहार में हजारों हिंदू मारे गए, अपाहिज हुए। यह इतिहास हमें बताता है: भूलना आत्मघात है; सतर्कता—रक्षा मार्ग।
भरोसेघात: नेहा केस में आँख में छल, बुर्के से पहचान छुपाना।
निष्पक्षता का पतन: children, वृद्ध-अशक्त सभी निशाने पर।
जानबूझकर संगठित हिंसा: कासगंज, मुर्शिदाबाद में संगठित भीड़ द्वारा निर्दोषों की हत्या।
धार्मिक स्थल भी सुरक्षित नहीं: मंदिर के बाहर पूर्ण संरक्षण की उम्मीद टूटी।
इतिहास दोहराता है: नोआखाली की पुनरावृत्ति अगर हम नहीं सीखते।
1. इतिहास पढ़ाएँ:
हमें अपने बच्चों और युवा पीढ़ी को हमारे इतिहास के सच्चे स्वरूप से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है। नोआखाली का नरसंहार, कश्मीरी पंडितों की पीड़ा, गोधरा जैसी घटनाएं केवल तारीखें नहीं हैं, ये चेतावनी हैं। अगर हम उन्हें भूलते हैं, तो दुहराव अपरिहार्य है। इतिहास हमें सिखाता है कि जब समाज सजग नहीं होता, तब वो निशाना बनता है। इसलिए हर परिवार में यह चर्चा होनी चाहिए।
2. नजदीकी नेटवर्क बनाएँ:
हिंदू समाज को अब मोहल्ले, मंदिरों और स्कूलों के स्तर पर संगठित होने की ज़रूरत है। एक-दूसरे पर नजर रखें, सूचना साझा करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया दें। छोटी-छोटी समितियां बनें जो क्षेत्र की निगरानी करें और सहायता प्रणाली तैयार रखें।
3. एफआईआर दर्ज़ कराएँ:
कोई भी धमकी, आपत्तिजनक हरकत या आपराधिक प्रयास केवल बातों में नहीं रहना चाहिए। ऐसे मामलों की FIR दर्ज़ कराना आवश्यक है। यह कानूनी दस्तावेज भविष्य की सुरक्षा के लिए कवच बनता है। पुलिस पर दबाव तभी बनेगा जब हम संकोच छोड़कर कानून का सहारा लेंगे।
4. कानूनी कार्रवाई करें:
सिर्फ शिकायत दर्ज कराना काफी नहीं होता। हमें मामलों को आगे भी ले जाना चाहिए। पेशेवर वकील की मदद लें, अपने लोकसभा सांसद को सूचित करें, और यदि ज़रूरत हो तो मानवाधिकार संगठनों की भी जानकारी में मामला लाएं। आवाज़ तब तक असरदार नहीं होती जब तक उसे न्यायिक प्रक्रिया का मार्ग नहीं मिलता।
5. मंदिर‑संरक्षण समिति बनाएं:
हर मंदिर को अब सिर्फ धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सुरक्षा केंद्र भी बनाना होगा। CCTV कैमरे, गश्त (पेट्रोलिंग) और सक्रिय सुरक्षाकर्मी मंदिर परिसरों में अनिवार्य होने चाहिए। पूजा के अलावा एक अलग टीम बनाई जाए जो इन सभी उपायों की देखरेख करे।
6. स्वरक्षा प्रशिक्षण शुरू करें:
समाज की महिलाएं, बुज़ुर्ग और बच्चे अब आत्मनिर्भर बनें—केवल मानसिक रूप से नहीं, बल्कि शारीरिक रूप से भी। जूडो, कराटे, या बेसिक आत्मरक्षा प्रशिक्षण अब एक आवश्यकता है। स्कूलों और समुदायों में ऐसी कार्यशालाएं नियमित होनी चाहिए।
7. संस्कृति समर्थक मीडिया को बढ़ावा दें:
हमें उस मीडिया को प्रोत्साहित करना चाहिए जो सनातन संस्कृति की बात करता है, सच को सामने लाता है और समाज को जागरूक करता है। लेख, वीडियो, पॉडकास्ट—ऐसे हर कंटेंट को लाइक, शेयर और समर्थन करें जो आपके धर्म और संस्कृति को बचाने की कोशिश करता है।
घटना‑निग्रह: नेहा से नोआखाली तक, सिलसिला लगातार मानवता पर प्रहार रहा है।
सावधान रहें पर भय में नहीं: हम डरकर नहीं, जागरूक होकर आगे बढ़ें।
एकता ही रक्षा है: व्यक्तिगत सुरक्षा और सामूहिक संकल्प—दोनों जरूरी हैं।
चुप्पी नहीं, चेतना है हमारी ज़िम्मेदारी: मौन रहना विकल्प नहीं।
“अगर हम अब भी नहीं जागे, तो इतिहास हमें दोहराएगा—पर फिर सुधार की गुंजाइश नहीं होगी।”
Social and Political Commentar, Nationalist, Mission to Make Positive Impact
Email suniltams@gmail.com
Guruji Sunil Chaudhary
Newsletter
Subscribe now to get daily updates.
Created with © FREE Super System