राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस: महाराष्ट्र चुनाव, वोटर डेटा और विरोधाभासों की कहानी
Content: Syed Rizwan Ahmed
प्रकाशन तिथि: 07 फरवरी 2025
हेलो, नमस्कार, सत श्री अकाल, अस्सलाम वालेकुम!
लगता है राहुल गांधी को अब यह यकीन हो गया है कि दिल्ली के एग्जिट पोल्स सत्ता के रुझान को दर्शा रहे हैं। शायद इसी कारण, जब पूरा देश दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहा है, तब लीडर ऑफ अपोजिशन महाराष्ट्र के चुनावों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो आंकड़े और दावे पेश किए गए, उनमें विरोधाभास साफ झलक रहा था। चलिए, सीधे मुद्दे पर आते हैं और इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
🔹 प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुख्य विषय: महाराष्ट्र के वोटर्स
राहुल गांधी की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में फोकस महाराष्ट्र के वोटर डेटा पर था। उन्होंने दावा किया कि:
✅ 2019 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक 32 लाख नए वोटर्स जुड़े।
✅ 2024 लोकसभा चुनाव के बाद, सिर्फ 5 महीनों में 39 लाख नए वोटर्स जोड़े गए।
✅ यह आंकड़ा हिमाचल प्रदेश की पूरी आबादी के बराबर है।
अब यहां पहली बड़ी गड़बड़ी सामने आती है। सिर्फ दो दिन पहले लोकसभा में खड़े होकर राहुल गांधी ने कहा था कि महाराष्ट्र में पिछले 5 महीनों में 70 लाख नए वोटर्स जुड़े। और अब प्रेस कॉन्फ्रेंस में वही आंकड़ा घटकर 39 लाख पर आ गया!
🔹 70 लाख से 39 लाख तक का सफर?
यहां सवाल उठता है कि अगर लोकसभा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि 70 लाख वोटर जुड़े, तो फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह संख्या 39 लाख कैसे हो गई?
अब सवाल यह उठता है कि दो दिन में ही हिमाचल प्रदेश की आबादी 70 लाख से घटकर 39 लाख हो गई? 🤔
यही नहीं, राहुल गांधी का बयान यह भी दर्शाता है कि महाराष्ट्र में वोटर्स की संख्या वहां की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा हो गई है।
🔹 2011 की जनगणना से 2025 तक का सफर: क्या आंकड़े सही हैं?
राहुल गांधी अपने दावे को 2011 की जनगणना के आधार पर साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह आंकड़े आज के दौर में कितने सटीक हैं, यह सवाल बना हुआ है।
👉 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र की आबादी 9.54 करोड़ थी।
👉 लेकिन 2025 में यह कितनी है, इसका सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है क्योंकि 2021 की जनगणना COVID-19 के कारण नहीं हो पाई।
👉 वर्तमान में महाराष्ट्र की अनुमानित जनसंख्या 11 करोड़ के करीब हो सकती है।
लेकिन 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर महाराष्ट्र के वोटर्स की संख्या को संदिग्ध बताना एक सतही तर्क लगता है।
🔹 राहुल गांधी के सलाहकारों की गलती?
राहुल गांधी के इस तर्क को देखकर लगता है कि उनकी टीम ने जल्दबाजी में गलत आंकड़े पेश कर दिए।
📌 पहले 70 लाख बोले, फिर 39 लाख।
📌 पहले हिमाचल की आबादी 70 लाख बताई, फिर 39 लाख।
📌 2011 की जनसंख्या के आधार पर 2025 की गणना करने लगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी को खुद भी अपने दावों पर पूरा भरोसा है, या यह सिर्फ एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश है?
🔹 राहुल गांधी के सवाल और विरोधाभास
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक और सवाल उठाया:
"पिछले 5 साल में जितने वोटर्स जुड़े, उससे ज्यादा सिर्फ 5 महीनों में कैसे जुड़ सकते हैं?"
➡️ इस पर ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में हर चुनाव से पहले नए वोटर्स जोड़ने का एक नियमित प्रोसेस होता है।
➡️ छात्रों, प्रवासियों और नई उम्र सीमा पार कर चुके नागरिकों को वोटर लिस्ट में जोड़ा जाता है।
➡️ हर राज्य में विधानसभा और लोकसभा के वोटर लिस्ट में अंतर होता है क्योंकि इसमें अपडेट होते रहते हैं।
राहुल गांधी इसे ‘वोटर लिस्ट का हेरफेर’ बता रहे हैं, लेकिन उनके पास इसे साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
🔹 वोटों की संख्या और सीटों का गणित
राहुल गांधी ने एक और सवाल उठाया कि लोकसभा में हमें जितने वोट मिले, विधानसभा में भी उतने ही मिले, फिर सीटें कम क्यों हुईं?
👉 यहाँ गणित का एक सरल नियम समझना जरूरी है:
✔️ मान लीजिए कि चार विधानसभा सीटों पर किसी पार्टी को 20-20-20-20 वोट मिले – यानी कुल 80 वोट।
✔️ दूसरी पार्टी को तीन जगह 25-25-25 वोट मिले और एक जगह 5 वोट – यानी कुल 80 वोट।
✔️ पहले केस में पार्टी को केवल 1 सीट मिलेगी, लेकिन दूसरे केस में उसे 3 सीटें मिलेंगी।
यानी, सिर्फ वोट प्रतिशत देखने से यह तय नहीं होता कि कौन कितनी सीटें जीतेगा।
राहुल गांधी शायद सीट शेयर और वोट शेयर के इस अंतर को नहीं समझ पा रहे हैं।
🔹 निष्कर्ष: क्या यह सिर्फ एक नैरेटिव है?
राहुल गांधी की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का मकसद कहीं न कहीं एग्जिट पोल्स से ध्यान भटकाना लग रहा है।
📍 उन्होंने 70 लाख वोटर्स का आंकड़ा खुद ही 39 लाख कर दिया।
📍 हिमाचल प्रदेश की आबादी का आंकड़ा भी खुद ही बदल दिया।
📍 2011 की जनगणना के आधार पर 2025 की बात करने लगे।
📍 सीट शेयर और वोट शेयर के गणित को सही से नहीं समझा।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह महज़ एक पॉलिटिकल नैरेटिव सेट करने की कोशिश थी, या फिर वाकई कोई बड़ा मुद्दा है?
🔥 आपका क्या कहना है?
✅ क्या राहुल गांधी की बातों में कोई सच्चाई है?
✅ क्या 2011 की जनगणना को 2025 में इस्तेमाल करना सही है?
✅ क्या विपक्ष को इस तरह के विरोधाभासी बयानों से बचना चाहिए?
अपने विचार हमें कमेंट सेक्शन में बताएं! 🚀
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Guruji Sunil Chaudhary
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