"Ek waqt tha जब राजनीति का मतलब था राष्ट्रहित। जब नेतागिरी में सेवा थी, और वाणी में मर्यादा।
आज वही राजनीति — viral slogans, cheap theatrics, और selective boldness तक सिमट कर रह गई है।
और इस पूरे ड्रामे के बीच एक नाम बार-बार उठता है —
👉 राज ठाकरे।
एक समय का उभरता नेता, जो मराठी अस्मिता का झंडा लेकर निकला था…
आज उसी भाषा के नाम पर दुकानदारों को पीटता है, कैब ड्राइवरों को धमकाता है, और वीडियो बनवाकर वायरल करवाता है।
पर सवाल ये है Guruji पूछता है —
क्या यही हिंदुत्व है? क्या यही असली शेर की परिभाषा है?
या फिर ये सिर्फ़ एक हारा हुआ नेता अपनी बची-खुची इज्ज़त जोड़ रहा है?"
Balasaheb Thackeray ने जब शिवसेना बनाई थी, तो वो सिर्फ़ एक regional party नहीं थी।
वो एक आंदोलन था — हिंदू स्वाभिमान का, साहस का, और राष्ट्र-प्रेम का।
“I am a mad Hindu” — ऐसा कहने का साहस आज शायद ही किसी में हो।
लेकिन आज उन्हीं के वंशज…
🔹 एक ZERO सीट वाली पार्टी चला रहे हैं
🔹 अपने बेटे को मराठी से दूर करके जर्मन पढ़ा रहे हैं
🔹 और समाज को भाषा के नाम पर लड़वा रहे हैं
Guruji पूछता है —
“क्या सच में Balasaheb की आत्मा को शांति मिल रही होगी… ये सब देखकर?”
📌 "मराठी नहीं बोला? मारो!"
📌 "North Indian है? पीटो!"
📌 "कैब ड्राइवर है? गिरा दो!"
📌 "Guard है? थप्पड़ मारो!"
लेकिन… आमिर खान से एक शब्द नहीं।
न ही किसी celebrity से सवाल — ‘Why aren’t you speaking Marathi?’
“जो दिखता है, वही बिकता है” — ये थ्योरी अब “जो डरता है, वही टारगेट होता है” में बदल चुकी है।
यहां मराठी भाषा की रक्षा नहीं हो रही,
यहां Powerless लोगों पर Show-Off चल रहा है।
Raj Thackeray का political journey किसी broken compass से कम नहीं:
🌀 2014 – मोदी जी के समर्थन में
🌀 2019 – BJP के विरुद्ध ज़हर
🌀 2024 – फिर से समर्थन
🌀 2025 – भाषावाद की तलवार
“किसी विचारधारा पर टिके बिना जो नेता चल रहा हो,
वो समाज को क्या स्थिरता देगा Guruji?”
This isn't conviction — this is political confusion in designer packaging.
जब राज और उद्धव फिर से मिले…
तो सवाल ये नहीं था कि मराठी कौन बोलेगा,
सवाल था — BMC का Mayor कौन बनेगा?
यह Marathi Asmita नहीं, ये Municipal Power Grab है।
क्योंकि Maharashtra की सबसे कीमती सीट BMC ही है।
और दोनों भाइयों को अब अकेले में उस कुर्सी की उम्मीद नहीं।
तो क्या करें?
Public को भावनाओं में घुमा दो — Hindi vs Marathi!
लोग लड़ेंगे, वोट मिलेंगे… और कुर्सी फिर से मिल जाएगी।
Language is a tool of expression — not division.
Marathi हमारी संस्कृति है, पर धार्मिक और राष्ट्रीय एकता उससे ऊपर है।
और यही बात Sanatan Dharma हमें सिखाता है:
“वसुधैव कुटुंबकम्” — न कि “विविध भाषा, विभाजित भारत”
आज अगर कोई मुसलमान मराठी न बोले तो चुप्पी,
पर अगर कोई हिंदू बोले न बोले — तो थप्पड़?
Guruji पूछता है — क्या ये राजनीति है या पक्षपात की पराकाष्ठा?
🙏 सच्चा हिंदू ना किसी भाषा से डरता है, ना किसी से नफ़रत करता है।
🙏 सच्चा हिंदू वो है जो जोड़ता है — तोड़ता नहीं।
🙏 और सच्चा हिंदुत्व वो है जो आत्म-बल सिखाता है — न कि Power Show।
Raj Thackeray जैसे नेता अगर सच में जनता का भला चाहते हैं —
तो उन्हें भाषा के नाम पर चोट नहीं, शिक्षा और संस्कार फैलाने चाहिए।
📣 “Raj Ji,
Sher बनना है — तो आमिर खान से भी सवाल करो।
बुज़ुर्गों पर हाथ उठाना… शेरों का काम नहीं होता।
Your roar is selective.
Your cause is hollow.
And your legacy… confused.”
यह ब्लॉग एक आलोचना नहीं —
एक reflection है, एक जागरूकता है।
अगर आप सच में राष्ट्रवादी हैं,
तो धर्म के नाम पर नहीं,
कर्म और चरित्र के नाम पर उठिए।
👉 इस पोस्ट को शेयर करें हर उस व्यक्ति तक,
जो भाषा, जाति और धर्म के नाम पर हो रहे divide and rule को समझना चाहता है।
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